...

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कब होगा दर्श तुम्हारा
धू धू कर के धधक रही है
अंतर मन में ज्वाला
लपटे उठती तेज धुरंधर
नयन देख मधुशाला
प्याले छलक रहे ऐसे
जैसे समुंदर की लहरे
छूने को...