...

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दिल और ग़म
दिल में ग़मों ने मेरे बनाई थी रहगुज़र,
मैं चुप रहा तो अब वो बस्ती बसा रहे हैं ।
हमको सता के उनको ख़ुशियाँ न मिल सकीं,
पर हम ग़मों में रहकर भी मुस्कुरा रहे हैं ।।