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सड़क (हास्य कविता)
#सड़क
आधा सड़क सरकार का,
आधा सड़क निर्माणकार का;
आधा सड़क बेघर यार का,
क्या करू मेरी कार का ,
न चले सड़क पे,
और गड्डो से रिश्ता बेकार-सा;
ये सड़क है या टूटा आशिक,
तोड़ा हैंडल मेरे पुराने प्यार का ,
जो छोड़ गई मुझे समझ बेकार-सा;
और इसी तरह बन गया रिश्ता,
मेरा और इस सड़क का ,
जैसे रिश्ता हो पुराने यार का;
अधूरी ये और अधूरे हम,
चल रहे साथ चार कदम।😃




© Anna