...

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हौसले तू अपने कम न कर
हौसले तू अपने कम न कर ,
मिलेगी मंज़िल गम न कर ।
मेहनत से हीे हासिल होगा मुकाम ...
तू मेहनत अपनी कम न कर ।
कोई नहीं है जो दे सके साथ तेरा ,
पकड़ के मंजिल तक ले जाए जो हाथ तेरा ।
तू भूल जा दुनिया गम न कर ,
अपनी मेहनत कभी तू कम न कर ।
अभी तो तेरे रिश्ते नाते सब पराय हैं...
जिसने भी हासिल किया है मुकाम अपना
उसके पास ये सब खुद दौड़ कर आए हैं ।
लड़ता रह अकेले तू अपनी ये जंग ,
खुद के और किस्मत के संग।
अगर कोई नहीं है साथ तेरे थामने को हाथ तेरे
दोस्ती तू किताबों से कर जो चल सके साथ तेरे
जो तुझे मंजिल तक चलना है साथ इनके
तो किताबों से दोस्ती तू कम न कर ।
मिलेगी मंज़िल तू गम न कर।
ये भी रहेंगी साथ तेरे मंजिल मिलने तक
लेकिन तू मेहनत अपनी कम न कर ,
किसी बात का कोई गम न कर ।
सुना है सब्र का फल मीठा होता है ....
मिलेगा फल भी मीठा , लेकिन तू सब्र तो कर ।