...

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एक शाम..!!
सुकून की तलाश में किसी शाम बाम पर आना हुआ

फिर क्या, चाय के संग पुरानी यादों का आना जाना हुआ..!!

नज़र चांद पर गई सहसा और ज़हन में एक रु का घूमना हुआ..!!

ख़ुद को संभाल कर, ज़रा समझा कर एक बार और मन का हारना हुआ..!!

तारों का गाना हुआ , चांद का मुस्कुराना हुआ, मुझ से मेरा ही सामना हुआ..!!

थोड़ा डांटना हुआ , नम आंखें, गीला गाल हुआ,आख़िर में यार मेरे सिर्फ़ पछताना हुआ..!!

इन सब में चाय का ठंडा होना हुआ, फीकी मुस्कान के साथ सीढ़ियों से उतरना हुआ..!!

कुछ इस तरह एक पल के सुकून को पा कर खोना हुआ..!!

© ग़ज़लWali

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