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मां भारती
मां बेटे का रिश्ता
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हे मां भारती, मैं तो तेरा बालक हूं,
तेरे क्या क्या गुण बतलाऊ ,
अरे तू तो असंख्य सूरज है,
चराग तुझे क्या दिखलाऊं।।१।।

जो सुनता हूं मैं नाम तेरा,
आवाज़ सुनाई देती है,
कहीं रामायण की चौपाई,
नमाज़ सुनाई देती है।।२।।

आंगन में तेरे मुझको,
बड़े रंग दिखाई देते हैं,
यहां विभिन्नता करती कलरव,
सब संग दिखाई देती है।।३।।

यहां नारी का सम्मान बचाने,
नारायण आ जाते हैं,
सतियों का न सत डोले,
यहां जौहर भी हो जाते हैं ।।४।।

आंचल से तेरे लिपटी,
ताबूत लौट जब आती है,
एक लहू से भरती मांग को,
एक छाती से लिपटाती है।।५।।

अरे रक्त से सींचा है धरती...