दृष्टि..,
अगर आपको इस दुनियां में या ख़ुद में कुछ कमी लगती है तो सही में आप प्रभू की दी हुई इस ज़िन्दगी के योग्य नहीं हो,
कुछ भी कहीं भी किसी में भी बुरा नहीं है सब आपकी दृष्टि का ही खेल है
आप अपनी नज़रों के अनुरूप हर चीज़ का अपने मन में एक छवि का निर्माण कर लेते हो..,
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कुछ भी कहीं भी किसी में भी बुरा नहीं है सब आपकी दृष्टि का ही खेल है
आप अपनी नज़रों के अनुरूप हर चीज़ का अपने मन में एक छवि का निर्माण कर लेते हो..,
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