...

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पल पल
जिसे भूलने में ज़माना लगा था
वो आज कल फिर याद आने लगा है ।

पल पल आता है बेधड़क ख्यालों में,
क्यों वो मुझे यूं खामखा सताने लगा है ।

पूछता है सवाल वो जिनसे किए थे किनारे
आंखों में आंखें डाल जवाब उगलवाने लगा है ।

क्या कसूर गर धड़कता है दिल उसके नाम से
ये समां भी तो उसी की धुन में गाने लगा है।

कहो तो कर लूं क्या साफ़ धूल आईने की
इसमें अब उसका ही अक्श नज़र आने लगा है ।

टूटा वो ख़्वाब तो टीस दिल में उठी
वो तोड़ कर दिल फिर कहीं जाने लगा है।

निभाता था हर रस्म बेखौफ जो
अब नज़रें मिलाने से भी कतराने लगा है।

अभी दूर है तो क्या,मेरा ही रहेगा सदा
मगर खो देने का उसको अब डर सताने लगा है।

© Geeta Dhulia