...

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मोबाइल
मोबाइल!
वादियां, घटाएं, वाहरों,
चमन,सुमन,सितारे, वसन्त यहां तक
चांद - चांदनी को भी पीछे छोड़ दिया,
आशिकों के इश्क में,
तुझे मोहब्बत है,
लगता नहीं और किसीसे,

जन जन, घर घर, मयखाने तक,
आश्रम तक,
हर दरवार तक,
सब तेरे उदर में,
मौन व्रत से ध्यान तक,
इन्सान के चक्षु,
दिलों - दिमाग से
सर तक,
असर तक.....,
तू हिरण्यगर्भ है,

बस,ईश्वर बनना बाकी है।
© Aditya N. Dani #WritcoQuote #writer