कुछ राहों पर
कुछ राहों पर,
अकेले ही चलना पड़ता है !!
कभी गिर भी जाओ अगर,
तो ख़ुद ही सम्भलना पड़ता है !!
रास्ते पर कांटे तो हजारों आते है
इन काँटों पर चलकर,
ख़ुद ही मजबूत बनना पड़ता है !!
थोड़ा बहुत डर तो सबको लगता है !!
इस डर को मारकर ही,
हमें सफलता का द्वार दिखने लगता है !!
लोग क्या कहेगे, बस यही दिक्क़त है !!
इसी सोच में वक़्त गुजरने लगता है !!
"अलग" यहाँ सब कुछ
इतनी आसानी से कहाँ मिलता है !!
अगर कुछ पाने की है चाहत
तो परिश्रम करना ही पड़ता है !!
© Sukhbir Singh Alagh
अकेले ही चलना पड़ता है !!
कभी गिर भी जाओ अगर,
तो ख़ुद ही सम्भलना पड़ता है !!
रास्ते पर कांटे तो हजारों आते है
इन काँटों पर चलकर,
ख़ुद ही मजबूत बनना पड़ता है !!
थोड़ा बहुत डर तो सबको लगता है !!
इस डर को मारकर ही,
हमें सफलता का द्वार दिखने लगता है !!
लोग क्या कहेगे, बस यही दिक्क़त है !!
इसी सोच में वक़्त गुजरने लगता है !!
"अलग" यहाँ सब कुछ
इतनी आसानी से कहाँ मिलता है !!
अगर कुछ पाने की है चाहत
तो परिश्रम करना ही पड़ता है !!
© Sukhbir Singh Alagh