...

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देश बनेगा आखिर कैसे..
अंधी है कानून व्यवस्था बिकी हुई सरकारें हैं
सबको सच दिखलाने वाले बस तेरी दरकारें हैं

घोर अधर्मी पापी हैं सब और मुखौटाधारी हैं
दिन में बनते साधू हैं सब संध्या में व्यभिचारी हैं

नारी का सम्मान कहाँ है झूठे-मूठे नारे हैं
मुरलीवाले तेरी आड़ के पीछे सब हत्यारे हैं

जिसने जितने पाप...