...

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कहना मैं भी चाहता हूँ
कहना मैं भी चाहता हूँ
मगर कह नहीं पाता हूं
बात बात पर
बस रूठा मैं रहता हूं

सपने लेके आया था
मैं अपने साथ भी
लेकिन पता नहीं
किस बात पर नाराजगी

सब कुछ देखो
बदला बदला रहता है
दिमाग कुछ और ,
मन कुछ और कहता है
लगता है मेरी कुछ और
ही सच्चाई है
मेरी किसी और से नहीं
खुद से लड़ाई है

कहना मैं भी चाहता हूँ
मगर कह नहीं पाता हूँ
बात बात पर
बस रूठा मैं रहता हूँ

पता नही ,
किस बात की ये रट है
देखो बस लत ही लत है
कुछ अनहोनी होने की
ये एक आहट है
मन में देखो थोड़ी सी
घबराहट है

कहना मैं भी चाहता हूँ
मगर कह नहीं पाता हूँ,
बात बात पर,
बस रूठा मैं रहता हूं

© yeshu