...

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सपनो का सौदागर कोई
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
मन को मेरे छल रहा कोई
मेरा होकर मूझे ही गेर बना रहा कोई
मेरे सूलगता अरमानो की आंच पर
ख्वाब खुद के सेक रहा कोई
मै खामोश हूँ एक हँसी के बाद
फिर भी रोज मूझे रूला रहा कोई
शाछ से पत्ते गीर गये खूशीयों के
जिन्दगी के फूल तोड रहा कोई
मासूम था मूझे कतल करने वाला
इलजाम अपने सीर ले रहा कोई
बेहिसाब दिल टूट रहे है यहाँ
आँसुओं की भी किमत लगा रहा कोई
केद कर के वक़्त को मुट्ठी मे
सपनो का सौदागर बन रहा कोई ।
sangeeta ( chandny)
13 /4/2022