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जिस्म से रूह तक हूं तेरी पनाह में (गजल)❤️
जब होती है परवरिश मोहब्बत की
दिल-ए-गाह में,
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बाखुदा, नूर-ए-नूर नज़र आता है
उस निगाह में,
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तेरे हर इक़ से मैं होने का एहसास है
या रब,
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