...

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जंगल की राते..?

रात में जंगल में,
सब शांत और स्थिर है,
पत्तों की सरसराहट नहीं,
पक्षियों की चहचहाहट नहीं।

चाँद चमकता है,
भयानक छाया डालना,
एक अकेला उल्लू हूटिंग करता है,
चुप्पी तोड़ना।

ऊपर पेड़ टावर,
उनकी शाखाएँ आपस में जुड़ी हुई हैं,
अंधेरे की एक सिम्फनी,
अज्ञात का एक नृत्य।

जंगल जीवंत हो उठता है,
हवा में संसनाहट के साथ,
अतीत की प्रतिध्वनियाँ,
रहस्यों से पर्दा उठना अभी बाकी है।
अँधेरे के बीच,
शांति की भावना उतरती है,
एक शांति जो केवल मिल सकती है,
प्रकृति के दिल में।

तो चलो गले मिलें,
इस रात जंगल में,
और सुकून ढूंढो,
इसकी प्रेतवाधित सुंदरता मे

#poem
© "अल्फाज़ ऐ जिंदगी"