बहार आने से पहले ' ।
रात दिन बस तेरी याद आती है ।
तन्हाई में अक्सर निगाह नम हो जाती है
ऐसा क्या गुनाह किया हमने जिन्दगी में
बहारआने से पहले पतझड़ छा जाती है
जिसको को अपना कहते रहे ताउम्र ।
गैर जैसे उसकी फितरत बदल...
तन्हाई में अक्सर निगाह नम हो जाती है
ऐसा क्या गुनाह किया हमने जिन्दगी में
बहारआने से पहले पतझड़ छा जाती है
जिसको को अपना कहते रहे ताउम्र ।
गैर जैसे उसकी फितरत बदल...