ये जिंदगी एक किताब बनकर रह गई
ये जिंदगी एक किताब बनकर रह गई।
साख से टूटे पत्तों की तरह
बेबस और लाचार बन कर रह गई ....!!
वो बाबुल की गलियां
फूल पत्ती और कलियां
सब एक ख़्वाब बन कर रह गई..!!
वो भाई बहनों की मस्तियां
काग़ज़ की वो कश्तियां
सब एक सवाल बन कर रह गई..!!
वो गांव की अपनी हस्तियां
दादा दादी की वो परस्तिया
सब बस एक एहसास बन कर रह...
साख से टूटे पत्तों की तरह
बेबस और लाचार बन कर रह गई ....!!
वो बाबुल की गलियां
फूल पत्ती और कलियां
सब एक ख़्वाब बन कर रह गई..!!
वो भाई बहनों की मस्तियां
काग़ज़ की वो कश्तियां
सब एक सवाल बन कर रह गई..!!
वो गांव की अपनी हस्तियां
दादा दादी की वो परस्तिया
सब बस एक एहसास बन कर रह...