...

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लाली
देखो ! वह है लाली
गजब करे सब काम
सब कुछ करे खाली
शहर में है बङा नाम।

बाल काटे जैसे नाली
वसूले ज्यादा ही दाम
बङो-बङो को करे खाली
लग जाये ताताँ व झाम।

सूरत है बहुत काली
अधर में अटका पान
बोले अपनी भाषा पाली
पूरे बाज़ार की है जान।

कान में पहने बाली
चले ऐसे जैसे बढे मान
जिए जैसे नोट जाली
इकट्ठा करे बङा खान।

किसी को न दे गाली
करे सबका सम्मान
खींचे दिन-रात टाली
चौगनी बढे उसका ज्ञान।

दोस्ती ऐसे जैसे साली
बने न किसी पर भार
मीठा बोले जैसे घरवाली
अपनों का करे बेङापार।

बजाये एक बार ताली
डाकिया भेजे उसे तार
पेट भर खाना जाये थाली
पी जाये बङा से बङा ज़ार।

छाये हर तरफ हरियाली
जीवों पर न करे वार,
बैठे जैसे चटका की डाली
डरे न भले गिरे वो डार।

ऐसा साहसी है वह माली
फूलों को पिलायें पानी
देखो! वह आया लाली
लोग पुकारे जाॅनी - जाॅनी।


© वसीम आज़म