कुछ यूँ हो जाए
बातों बातों मे फिर युँ इश्क़ हो जाए,
तुम रात लिखो तो भी सुबह हो जाए।
मेरी मंज़िल और मुकद्दर एक हो जाए,
तु लिखे इश्क़ और खुदा हो जाए।
कभी बहार कभी बारिश हो...
तुम रात लिखो तो भी सुबह हो जाए।
मेरी मंज़िल और मुकद्दर एक हो जाए,
तु लिखे इश्क़ और खुदा हो जाए।
कभी बहार कभी बारिश हो...