...

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"मेरा ख़्वाब था"
तुम हकीक़त में मेरे हो,
यह मेरा ख़्वाब था,
जी रहा हूँ अकेला ,
ये वजुद मेरा नहीं था,
तुम हकीक़त में मेरे हो,
यह मेरा ख़्वाब था,
ना जानें वो कौनसी घड़ी थी,
जो लाई जुदाई थी,
हमें तो महोब्बत बेशुमार थी,
पर शायद वो एक ख्वाबगाहर की घड़ी थी,
हर वक़्त बस्ता रहेता ख़याल तुम्हारा था,
यादों की कयामत से जूझ रहा मेरा दिल था,
तुम हकीक़त में मेरे हो,
यह मेरा ख़्वाब था,
हम दोनों की जुदाई शायद तकदीर थी,
तेरे हिस्से में खुशी आइ और मुझे तन्हाई,
सिकायत नहीं क़ोई तुझसे हारा मेरा इश्क़ था,
तुम हकीक़त में मेरे हो,
यह मेरा ख़्वाब था....








© Deep's Mahedu