...

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मैं हु कौन ?
कभी जो पूछा मैं हु कौन
दिल से आवाज़ आयी
किसी की अमानत या किसी की हिफ़ाज़त

पिता ने अमानत समझ
दूसरे घर बिदा कर दिया
पति ने फ़र्ज़ समझ हिफाज़त
से रखा

मैं हु कौन
जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं

पिता के घर पैदा हुई तो
उनके अनुसार अपना जीवन बिता दिया
पति के घर गयी तो उनके संस्कारो
को अपना लिया

मैं हु कौन ये बात मैंने भी भुला दिया
इस जीवन में मैंने किया ही क्या
ये सोच कर खुद को भुला दिया

चाहा था क्या और क्या मैंने किया
उसका हिसाब देखती हु तो
खुद को कही गुम महसूस करती हु

करने को तो बहुत कुछ है
जीवन में अपना पह्चान बनाने में

पर वो हिम्मत कहा से लाउ
वो हुनर कहा से लाऊ
जो बोल पाउ मैं भी हु कुछ


मुझे भी अपनी पहचान बनानी है
मुझे भी उड़ना है उस आसमान में
मैं खुद के नाम से जाना जाना चाहती हु

ना किये दिए हुवे नाम से

© priyanka sahu