...

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maat pucho maine kya kya dekha
मत पूछो के मैंने क्या क्या देखा
बनती बिगड़ती हुई सरकार का तमाशा देखा
मैंने बिकते हुए लोह ओ कलम देखा
इज़ाज बेटियों के सड़कों पे नीलाम देखा
इंसानियत को होते हुए शर्मसार देखा

मत पूछो के मैंने क्या क्या देखा
एक तरफ शराब में डूबी हुई शाम देखा
दुसरी तरफ रातों को कई फ़ाका देखा
शियासी लोग की मैंने शियासत देखा
धर्म के नाम पे फिर कितने ही आफत देखा

मत पूछो के मैंने क्या क्या देखा
एक तरफ आग में सुलगता हुआ घर देखा है
दुसरी तरफ भूल से बिलखता हुआ बाशर देखा
मैंने टूकड़ो में शहीद ए जवां देखा
रोती बिलाखती हुई फिर उसकी मां देखा

मत पूछो के मैंने क्या क्या देखा
जय जवान जय किसान का नारा था जहां
उसी मुल्क में उन्हें लाठियां खाते देखा
370 को यहां से हटाते देखा
घरों को क़ैद खाना बनाते देखा

मत पूछो के मैंने क्या क्या देखा
मैंने नेताओं के जुमलेबाजी देखा
मैंने होते हुए कई जालसाजी देखा
बेरोजगारी और मंदी का ज़माना देखा
मैंने लूटता हुआ देश का खज़ाना देखा

मत पूछो के मैंने क्या क्या देखा
©bejubaanshayar @Writco
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