...

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कहीं कोई भूखा तो नहीं !
ऐ बड़ी बड़ी इमारतों में रहने वाले
जरा बाहर नीचे तो देख, कि कोई भूखा तो नहीं
जरा देख उन झुग्गी बस्तियों में, कि कोई बच्चा भूख से तड़फ तो नहीं रहा
जरा देख उन सुरक्षा कर्मियों को, जो गेट पे खड़े दिन रात तेरी रक्षा करता है, कहीं भूखा तो नहीं
जरा देख उस सफाई करने वाले को, जो रोज तेरे घर से कचरा उठा के ले जाता है, कहीं भूखा तो नहीं
जरा देख उस काम करने वाली बाई को, जो रोज तेरे घर के काम करती थी, कहीं भूखी तो नहीं
जरा देख उस इस्त्री करने वाले को, जो तेरे घर से कपड़े लेके जाता था, कहीं भूखा तो नहीं
हमने सुना था, कि इंसान ही इंसान के काम आता है
तो क्यूँ इस मुश्किल घड़ी में, अपने दिल के दरवाजे बंद करके बैठा है
जरा दिल के दरवाजे तो खोल और देख कहीं कोई भूखा तो नहीं !
#lockdown #poem