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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में द्वितीय बुटी।।👙
यह कैसी बोटी प्रकृट हुईं हैं,
👙 यह मैले बास मारते कपड़े,
क्या कहते हैं,
वह वेशया जो गरीब होकर तुम्हारे साथ बैठ नहीं सकती जो तुम्हारी नज़रों में निम्न जात है,
उसी के भिखारी हो,
उसकी के जिस्म पर अपनी हैवानियत दिखाते तो सही थी मगर अब तो हर लड़की को तबायफ समझते हो,
जिसके साथ बैठना नहीं चहाते,
उसके दो आंसू पोंछकर उसे संजोना नहीं चहाते,
तो फिर क्यों तुम उसके साथ सोने के बौराए हो,
ये प्रेम नहीं,
ये प्यार नही
ये वासना नहीं
ये केवल जिस्म की नुमाइश में हैवानियत की भूख है।।👅👄🩸💍💋👙🍷🛖🍸🥃
तो उसकी के दर पर उसे नंगा कर तुम खुद भी कहा दूध के सम्मान कहलाए जाते हैं,
और यहा अगर एक वैश्या मजबुरी बनकर खुद को नीलाम करवाती है तो वह इस एक पुन्य करती है,
क्योंकि वह वेशया शौक में नहीं बनी,
ना वो खुद नंगी हुई,
उसे नंगा किया हमारे समाज ने,😠
उसे नंगा किया उसकी गरीबी ने😠
उसे नंगा किया हमारे देश कि सरकार 😠
वह नंगी हुई इसलिए ताकि,
कोई और लड़की वेशया ना बने,
मगर यह समाज में देखा जाए तो हर लड़की वैशया ही मगर किसी मजबूरी है,
तो किसी के लिए यह श्राप है,
उसने कहा मैं नंगी देखने के लिए बडे बडे लोग
मेरे दर पे खुद कंगाल होकर मुझ पर रूपए फेंककर,
मुझे नंगा करवाकर देखने को मेरे बाज़ार में मुंह छिपाकर खड़े रहते हैं,
मगर मैं बिल्कुल नहीं गबराई क्योंकि मेरे लिए तो ये पूजा है,
और यह वेश्यालय कोई नही,
ये एक मंदिर और हम इसकी देवियां है मगर ,
हमारे इज्जत नीलाम करना हमारा कोई पेशा नहीं हमारी पूजा तथा वैश्य हमारे धर्म है और वैश्य हमारी जात तथा वेशवृति एक संकल्प है।।
यह जग बाजार मेरा,
यहां मुझे छोड़कर कोई स्थाई,
सबकी इच्छा हूं,
सबकी के एक सम्मान नहीं,
यह लोग हैं नदान नहीं है ये पुरूष -
ये दरिंदगी का भंडार है,
यहां सबकी नजर कुपोषित हैं,
चाहे वो लड़के हो,
ये मर्द सबसे काभी किसी के नहीं होते,
ना इन्हें प्यार है ना इन्हें वासना है,
ना प्रेम वह बस जंगली हैवान जो कोई भी योनि से हो सकता है,
चाहे नेता हूं,
या हो मध्य पुरूष,
सब इस बाजार में मेरे भिखारी हैं,
सबके ऊपर मेरा कोई ना कोई वसत्र पड़ा।।
सत्यताह 💔
द्वितीय बुटी 🙏
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