इंतजार की इन्तेहां है।
तन्हा थे तन्हा हैं,
जहां थे वहां हैं ।
वो हंसीन लम्हे.
थे! अब कहां हैं।
हम बुरे! अच्छा,
सारा जहाँ है।
स्वार्थी हुए हम,
प्यार जबां है।
आग लगी शायद,
उठा धुआं है।
अब तो आ जा,
इंतजार की इन्तेहां है।
© 💕ss
जहां थे वहां हैं ।
वो हंसीन लम्हे.
थे! अब कहां हैं।
हम बुरे! अच्छा,
सारा जहाँ है।
स्वार्थी हुए हम,
प्यार जबां है।
आग लगी शायद,
उठा धुआं है।
अब तो आ जा,
इंतजार की इन्तेहां है।
© 💕ss