चांद और मैं
2122 2122 212
चांद मेरा हमसफ़र हो ना सका
इंतेहा कोशिश मनाने की रही
रात भर छुपता निकलता वो रहा
ख़ूब साजिश यूं जगाने की रही
मैं...
चांद मेरा हमसफ़र हो ना सका
इंतेहा कोशिश मनाने की रही
रात भर छुपता निकलता वो रहा
ख़ूब साजिश यूं जगाने की रही
मैं...