...

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कमी
कमी तो कुछ नहीं फिर भी
कभी कभी कुछ कम लगता है
क्या है वो
ये बताने से दिल थोड़ा डरता है
कभी वो चाँदनी रात की कमी लगती है
कभी अँधेरी सुनी राहों की
कभी लगता है कोई खुशबू नहीं यहाँ
कभी लगता है मुझे तो फूलों से एलर्जी है
कभी लगता है कितनी safe हूँ मैं यहाँ
कभी लगता है साला ये भी कोई ज़िंदगी है
कभी लगता है अकेले ही बेहद खुश हूँ
कभी लगता है उसकी जरूरत सी है
कभी लगता है कितना सूखा है ये जीवन
कभी लगता यहीं मंडराती वो ख़िलखिलाती बदली है
कमी तो कुछ नहीं फिर भी
कभी कभी कुछ कम लगता है