क्या गुम हूँ मै
सुबह से शाम, शाम से रात
कटते नहीं उदास हालात,
मंजिल क्या है खुद से पूछती
हूँ, क्या गुम हूँ मै यही सोचती हूँ!
बात बात पर चहकना बंद सा
हो गया है, कुछ बातों पर सहना
आ गया है, ये वक़्त की जरूरत
है या वक़्त की रफ्तार,
बस इस बात पर खुद से पूछती हूँ!
कोई एहमियत नहीं ज़ब अपनी
भला शब्द क्यों बर्बाद करें
किसी पर, अपने आप की सुनती हूँ
मै अब...
कटते नहीं उदास हालात,
मंजिल क्या है खुद से पूछती
हूँ, क्या गुम हूँ मै यही सोचती हूँ!
बात बात पर चहकना बंद सा
हो गया है, कुछ बातों पर सहना
आ गया है, ये वक़्त की जरूरत
है या वक़्त की रफ्तार,
बस इस बात पर खुद से पूछती हूँ!
कोई एहमियत नहीं ज़ब अपनी
भला शब्द क्यों बर्बाद करें
किसी पर, अपने आप की सुनती हूँ
मै अब...