उसकी जिद
इंतजार करती हैं आंखें,,
आज भी उनके आने की।
दोष उसका भी नहीं,
दोष मेरा भी नहीं,
उसकी ही जिद थी,
बस मुझे आज़माने की।
उसकी जीत की खातिर,
मैं हर बार ही हारा।
खुश हो जाय वो इस बार भी,
यही सोचकर ,
यह जिद भी मैं हारा।
© mere ehsaas
आज भी उनके आने की।
दोष उसका भी नहीं,
दोष मेरा भी नहीं,
उसकी ही जिद थी,
बस मुझे आज़माने की।
उसकी जीत की खातिर,
मैं हर बार ही हारा।
खुश हो जाय वो इस बार भी,
यही सोचकर ,
यह जिद भी मैं हारा।
© mere ehsaas