...

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चांद और बातें
आज फिर चांद का दीदार हुआ
रोशनी के तले फिर से आंखें चार हुआ

बोला मुझसे हंस कर की यार क्यों आधी रात यूं तन्हा बैठा है
क्या है जो तुझे यूं सता रहा

मैंने फरमाया चांद से है कोई जो मेरे दिल में बैठा है
है दिल के बड़े करीब जो अब दूर कहीं रूठा बैठा है

ना होती बात है उनसे ना ही होते दीदार उनके
बस चंद यादें लिए सपने बुनता हूं उनके

इश्क तो अब भी बेहद है उनसे आज भी
बस कहने से उनसे हूं डरता के सुन दूर न हो जाए कहीं

दुआ है आपसे है चांद उनके खिड़की से झांकना
और खत मेरा पढ़के सुनाना उनके ख्वाब में

बताना मेरा दिल का हाल उन्हें दिखाना उन्हें मेरे हंजू चार
बहला कर उन्हे ले आना वापस उन्हे अब की बार।
© vexinkheart