पिता
पिता
देख दशा माटी का ऐसा, पास पड़ा कण बोल उठा,
क्यों सहते प्रहार कुम्हार का, बह जाओ इस मूसलाधार में l
देखा रहा तू प्रहार पिता का, ज़रा गौर से देखो तुम,
उस कठोर हाथों के पीछे, ले रहा आकार...
देख दशा माटी का ऐसा, पास पड़ा कण बोल उठा,
क्यों सहते प्रहार कुम्हार का, बह जाओ इस मूसलाधार में l
देखा रहा तू प्रहार पिता का, ज़रा गौर से देखो तुम,
उस कठोर हाथों के पीछे, ले रहा आकार...