फिर एक शाम गुज़र गई
आज फिर एक शाम गुज़र गई,
फिर सपनें सब अधूरे छोड़ गई,
जागी थी सुबह एक तरंग नई,
होशलों ने ली थी अँगड़ाई नई,
फिर ख्वाइशों की आस रह...
फिर सपनें सब अधूरे छोड़ गई,
जागी थी सुबह एक तरंग नई,
होशलों ने ली थी अँगड़ाई नई,
फिर ख्वाइशों की आस रह...