स्त्री मन
स्त्री मन
मन नहीं
रणभूमि है
जहाँ लड़ता
कोई और नहीं है
यहाँ कर्त्ता
कोई और नहीं है
पक्ष -विपक्ष
का अजब मेल है
सब में आप
और अपनों का खेल है
लड़तीं रहतीं...
मन नहीं
रणभूमि है
जहाँ लड़ता
कोई और नहीं है
यहाँ कर्त्ता
कोई और नहीं है
पक्ष -विपक्ष
का अजब मेल है
सब में आप
और अपनों का खेल है
लड़तीं रहतीं...