किस्से तेरे प्यार के
आज हवा फिर छेड़ गयी है
किस्से तेरे प्यार के
कभी तुम्हारी मजबूरी के
और कभी इकरार के
लाई है कुछ फूल उड़ाकर
सरसों और जवार के
उन की खुशबू से महके हैं
स्वप्न मेरे दिलदार के
कितने टूटीं हसरत मेरी
रखीं बहुत संवार के
आई याद बहुत दिन बीते
मौसम उड़े बहार के
© विमला पुंडीर
किस्से तेरे प्यार के
कभी तुम्हारी मजबूरी के
और कभी इकरार के
लाई है कुछ फूल उड़ाकर
सरसों और जवार के
उन की खुशबू से महके हैं
स्वप्न मेरे दिलदार के
कितने टूटीं हसरत मेरी
रखीं बहुत संवार के
आई याद बहुत दिन बीते
मौसम उड़े बहार के
© विमला पुंडीर