...

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अपना बना ले मुझको...
महकते हुए आंचल की हवा दे मुजको
उंगलियां फेर के बालों में सुला दे मुझको ,

जिस तरह फालतू फूलदान पड़े रहते है
अपने घर के किसी कोने से लगा दे मुझको ,

याद करके मुझे, तकलीफ ही होती होगी
एक किस्सा हूं पुराना सा भुला दे मुझको ,

देख मै हो गया बदनाम उन किताबों की तरह
मेरी तस्वीर ना रख अब तो जला दे मुझको ,

रूठना तेरा मेरी जान लिए जाता है
ऐसे नाराज ना हो , हस के दिखा दे मुझको,

और कुछ नहीं मांगा मेरे मालिक तुझसे
बस उसकी गलियों की खाक बना दे मुझको