...

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#kbhi kbhi...
तन्हा बेपरवाह दिल हो जाता है कभी-कभी
बेधड़क अकेला सब सेह जाता है कभी-कभी

इसकी मुरादो को कभी बांध लूं एक धागे में
सपने देखूं तो भी कैसे इस उजाले में

शायद नहीं कोई मोल इनका आपके आशियाने में इसीलिए कहीं छोड़ आया जिंदगी को पैमाने में

चुप रहकर ही आपके सामने रो जाता है कभी-कभी बेधड़क अकेला सब सह जाता है कभी-कभी

जानते हो ना मोहब्बत करता हूं मैं सब से
आपकी ही खुशियां मांगता हूं हमेशा रब से

जी लेने दो, दो पल की खुशी जुड़ी है मौत से
जिंदगी बता तुझसे कैसे डरू, हम तो डरते हैं
अपनों के साथ से

इस बीच आपसे प्यार कर जाता है कभी-कभी
बेधड़क अकेला सबसे है जाता है कभी-कभी ।




© shirri__