मैं गुलदाउदी
।। मैं गुलदाउदी ।।
मैं गुलदाउदी!
जानती हूँ! कि मैं
गुलमेंहदी, गुलमोहर और
गुलबहार नहीं।।
पता है! कि मैं
चमेली, चम्पारन, मालती और
माधवी भी नहीं।।
नहीं हूँ मैं!
कामलता,कामिनी, रात की रानी और
छुई-मुई भी नहीं।।
ये भी मानती हूँ कि मैं,
गुलाबी गुलाब सी नवाबी तो
बिलकुल भी नहीं।।
क्योंकि ये सब भी, मुझसे कहाँ हैं?
इनमें से कोई लता पर,
अपने रंग-संग लहकती है।।
तो कोई पेड़ों पर,
अपनी महक संग महकती...
मैं गुलदाउदी!
जानती हूँ! कि मैं
गुलमेंहदी, गुलमोहर और
गुलबहार नहीं।।
पता है! कि मैं
चमेली, चम्पारन, मालती और
माधवी भी नहीं।।
नहीं हूँ मैं!
कामलता,कामिनी, रात की रानी और
छुई-मुई भी नहीं।।
ये भी मानती हूँ कि मैं,
गुलाबी गुलाब सी नवाबी तो
बिलकुल भी नहीं।।
क्योंकि ये सब भी, मुझसे कहाँ हैं?
इनमें से कोई लता पर,
अपने रंग-संग लहकती है।।
तो कोई पेड़ों पर,
अपनी महक संग महकती...