...

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अन दाता
अन्न दाता
मैने जोता अपना खुन पसीना है
कच्ची मिट्टी में बोया सोना है
ठंडी की ठिठुरती रातों में
भीगीपलकों को लेकर सोया हूँ
ना जाने ये कैसा दिंन आया है
सड़कों पर सोया अन दाता है
रातो मे बदलती करवतो मे
ये भूखा पेट रोया है
कडी मेहनत करके वो
सबका पेट भरता है
आज देखो मेरा अन दाता
अपने ही हक को माँग रहा
देख ये नजारा आज
धरती मईया भी रो पड़ी
जिसने खिलाई रोटी हमे
उसको ही रोटी की कीमत ना मिली


© chandni