नये जमाने की पढ़ी लिखी लड़की हू..
मै नये जमाने की पढ़ी लिखी लड़की हू..
लेकिन मुझे पसंद है तुम्हारे पीछे चलना।
तुम जब मेरे और जमाने के बीच मे ढाल बन के खड़े होते हो..
मै खुद को तुम्हारे सामने बहोत छोटा महसूस करती हू।
मै नये जमाने की पढ़ी लिखी लड़की हू..
लेकिन मुझे पसंद है तुम्हारी हर बात मानना।
तुम जब मेरे साथ खड़े होके दुनिया की कड़वी सच्चाई से रूबरू कराते हो..
मै ख़ुद को हर बात से अनभिज्ञ समझती हू।
मै नये जमाने की पढ़ी लिखी लड़की हू..
लेकिन मुझे पसंद है तुम्हारा हाथ पकड़ के चलना।
तुम जब बहोत बेबाकी से रोड क्रॉस कराते हो..
मै खुद को बहोत सहज महसूस करती हू।
मै नये जमाने की आत्म प्रेम करने वाली लड़की हू..
लेकिन मुझे पसंद है तुममे मेरा मै त्याग देना।
© Ankita siingh
लेकिन मुझे पसंद है तुम्हारे पीछे चलना।
तुम जब मेरे और जमाने के बीच मे ढाल बन के खड़े होते हो..
मै खुद को तुम्हारे सामने बहोत छोटा महसूस करती हू।
मै नये जमाने की पढ़ी लिखी लड़की हू..
लेकिन मुझे पसंद है तुम्हारी हर बात मानना।
तुम जब मेरे साथ खड़े होके दुनिया की कड़वी सच्चाई से रूबरू कराते हो..
मै ख़ुद को हर बात से अनभिज्ञ समझती हू।
मै नये जमाने की पढ़ी लिखी लड़की हू..
लेकिन मुझे पसंद है तुम्हारा हाथ पकड़ के चलना।
तुम जब बहोत बेबाकी से रोड क्रॉस कराते हो..
मै खुद को बहोत सहज महसूस करती हू।
मै नये जमाने की आत्म प्रेम करने वाली लड़की हू..
लेकिन मुझे पसंद है तुममे मेरा मै त्याग देना।
© Ankita siingh