...

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ऐसी क्या खामी थी हमारी
उसकी किसी और से
किसी और से शादी हुई हमारी
एक भी मुकम्मल मन्नत ना हुई हमारी
तेरी दहलीज को चूमकर लौट आए
अंदर जाने की हिम्मत ना हुई हमारी
उसने शादी भी की मेरेही गांव में
बेहिसाब बेशुमार बेज्जती हुई हमारी
© unknown