...

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चिट्ठियां ✍️
तुम्हें लिखी सारी चिट्ठियां
जो तुम्हारे पते तक
पहुंच न पाई
वो इंतजार कर रही है तुम्हारा

कभी कभी संदूक की छेद से
झांकने लगती हैं
राह तकती है तुम्हारा
और इंतजार करते करते
कई चिट्ठियां तो
दरवाज़े की चौखट
लाँघने लगती है
वो कर लेती हैं
विद्रोह इंतजार से
संदूक से और पहुंचना
चाहती हैं तुम तक...

उन सारी विद्रोह की
हुई चिट्ठियों को
मैं चढ़ा देती हूं
प्रेम के मंदिर में
प्रेम के फूल समझ....

जब तुम आओगे
तो मेरे इंतजार
हमारी याद और
हमारे बिताए पल
को एकदम हरा पाओगे...

हमारे बीच की दूरी को
मैंने सदा अपनी चिट्ठियों
के पूल से कम किया है...

ताकि तुम जब लौटों
तो तुम्हें न सदियों
की देरी लगे
न इंतजार की दूरी....


#आओगे_जब_तुम_ओ _साजना_अंगना_फूल_खिलेंगे





© meraki_thesoul