...

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साहब की कहानी की किताब
कोई बताये मुझे मेरे साथ क्या हो रहा है,
मिलने वाले लोग बिछड़ते जा रहे हैं,
एक आईने से टकराया मेरा दिल,
आईना तो सलामत है,
मेरे दिल के टुकडे होते जा रहे हैं।
मैं वो भरा हुआ बर्तन हु जिस पर कोई भी पँछी पानी नही पिता और सारे पँछी उड़ते जा रहे हैं।
माँ ने कहा हर शख्स के लिए खुदा ने एक शख्स बनाया है,
कोई तो पता करो मेरे साथ इस दुनिया मे कोन आया ,
मैं जिससे भी रिश्ता जोड़ता हु
हर रिस्ते यहां टूटते जा रहे हैं।
परो से घर बनाया मैने, फिर एक आँधी का झोंका आया, घर के साथ मेरे अरमान बिखरते जा रहे हैं।
हमसे करके महोब्बत का दावा सिर्फ लोग दिल बहलाते है ओर बहलाते जा रहे।
यह जमाना नही है अच्छे लोगो का,
हम ठहरे ज्यादा अच्छे,
इसीलिए बर्बाद होते जा रहे हैं।

हमे हँसने की आदत का यही सिला मिला,
रोना था हमे ओर हम हसंते जा रहे।
मेरी ज़िंदगी की किताब में , बस इतनी ही कहानी है, आगे सारे पेज खाली है और आप पढ़ते जा रहे हैं।
© Verma Sahab