जी ले ज़रा
ओ मन मेरे
इतना उदास क्यूं रहता है
मैं जीने की कोशिशों में लगा रहता हूं
तू है की हर रोज़ मरता रहता है
भीड़ है आस पास मेरे
पर कोई ऐसा नहीं है जिसे अपना कह सकूं
जैसे लोग रह लेते हैं मेरे बिना ख़ुश
काश मैं भी उनके बिना ठीक रह सकूं
कोई जान ही नहीं सकेगा दुःख मेरा
क्यूंकि आंखें नहीं अब ये रूह...
इतना उदास क्यूं रहता है
मैं जीने की कोशिशों में लगा रहता हूं
तू है की हर रोज़ मरता रहता है
भीड़ है आस पास मेरे
पर कोई ऐसा नहीं है जिसे अपना कह सकूं
जैसे लोग रह लेते हैं मेरे बिना ख़ुश
काश मैं भी उनके बिना ठीक रह सकूं
कोई जान ही नहीं सकेगा दुःख मेरा
क्यूंकि आंखें नहीं अब ये रूह...