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हृदय लुट गया प्यार को आज हारे
हृदय लुट गया प्यार को आज हारे ...

यह शबनम की आभा ये चंदन के उपवन ।।
ये गलियां सुनहरी ,सुमन ,नृत्य ,गायन ।।
मुझे भी सुहाते गगन के सितारे ।।
कि पल भर नवोदित चमन को निहारें।।

सही बात लेकिन सुबह जो ढला है ।।
किसी प्रेम को कत्ल देकर पला है ।।
किसे ज्ञान की आज योवन नहीं है ।।
प्रिया के लिए प्रेम सावन नहीं है ।।

सभी जी रहे मौत की सृष्टि करके ।।
लगी आग में तेल की वृष्टि करके ।।
हृदय लुट गया प्यार को आज हारे ।।
मुझे भी सुहाते गगन के सितारे ।।

मैं चाहूं चमन गीत में नाच दूंगा ।।
मृगी चंचला रम्य को आंच दूंगा।।
नखों से सिखा तक मुझे प्यार आता।।
रिसाने रिझाने का इजहार आता ।।

जो बटने लगा रंग विग्रह पुराना ।।
ओ मंदिर ओ मस्जिद ओ चादर चढ़ाना ।।
ओ मेरे लिए प्राण देने को आतुर ।।
न मैं कह सका किंतु कि वह बहादुर ।।

तो क्या आज अधिकार की मौज मारें।।
कि पल भर नवोदित चमन को निहारें ।।

@ समर्थ
© Sujan Tiwari Samarth