...

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#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
गिले सिकवे सब छोड़कर
सपने अभी अधूरे है
जिद्दी हम भी पूरे है
जब तक ना पा लेंगे मंजिल
रस्ते के सारे पत्थर करने चकना चूरे है
जिम्मा घर का लिए हुए है
घुट सबर का पिए हुए है
नही जताते हे किसको भी
सुख दुख हमने जिए हुए है
कभी चले है मंद मंद
हर पल का लिया पूरा आनंद
होने वाले थे जब रस्ते बंद
निकले फिर हम तेज दोडकर


© RAHUL PANGHAL