सफ़र (१)
वो बचपन का जमाना था, ये बढ़ती उम्र का दौर है।
वो खुशियों का खजाना था,ये गमों का सैलाब है।
तब चाहत थी चांद को पाने की,ये समय है कुछ करके...
वो खुशियों का खजाना था,ये गमों का सैलाब है।
तब चाहत थी चांद को पाने की,ये समय है कुछ करके...