इश्क और जमाना,,,,
कहीं के लिए भी घर से निकलना
और तेरी गली में मुड़ जाना
मेरे लिए अब कितना
सिमट गया है ये जमाना
तुझे ही बार बार लिखना और फिर
तुझे ही बार बार दोहराना
...
और तेरी गली में मुड़ जाना
मेरे लिए अब कितना
सिमट गया है ये जमाना
तुझे ही बार बार लिखना और फिर
तुझे ही बार बार दोहराना
...