"जिंदा लाश"
मत पूछो हाल-ऐ-ज़िस्म का बस हुं ज़िदा लाश,
यक़ीनन ज़िदा हुं ज़िस्म के दिखाई से,
रूह तो कई और समाई है,
वज़ह क्या बताऊँ मैं खुद के जिंदा रहने की,
सांसे चलते रहेती है किसी और की लिए आस,
मत पूछो हाल-ऐ-ज़िस्म का बस हुं ज़िदा लाश,
रुह के प्यार की गहराई को नादान समझ...
यक़ीनन ज़िदा हुं ज़िस्म के दिखाई से,
रूह तो कई और समाई है,
वज़ह क्या बताऊँ मैं खुद के जिंदा रहने की,
सांसे चलते रहेती है किसी और की लिए आस,
मत पूछो हाल-ऐ-ज़िस्म का बस हुं ज़िदा लाश,
रुह के प्यार की गहराई को नादान समझ...