...

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"जिंदा लाश"
मत पूछो हाल-ऐ-ज़िस्म का बस हुं ज़िदा लाश,
यक़ीनन ज़िदा हुं ज़िस्म के दिखाई से,
रूह तो कई और समाई है,

वज़ह क्या बताऊँ मैं खुद के जिंदा रहने की,
सांसे चलते रहेती है किसी और की लिए आस,
मत पूछो हाल-ऐ-ज़िस्म का बस हुं ज़िदा लाश,

रुह के प्यार की गहराई को नादान समझ ना सके,
होके बेपरवाह बस आधा अधूरा छोड़ गएँ,
दुआएं मांग रहा है तड़पता हुआ दिल रूह को आज़ादी मेरे दिल से मिले कास,
मत पूछो हाल-ऐ-ज़िस्म का बस हुं ज़िदा लाश,

एतबार ना रहा अब हमें हमारे होनें का,
इन्तज़ार कर रहा बस ज़िस्म से रुह निकल ने का,
फिर आऊँगा ये करता हुँ वादा तुमसे,
बनके फ़िर सितारा देखूँगा आसमान से,
बस अब होगी ना दुसरी कोई ख्वाहिश,
मत पूछो हाल-ऐ-ज़िस्म का बस हू ज़िदा लाश,

© Deep's Mahedu