द्रौपदी और भगवान शिव
द्रौपदी और भगवान शिव
तपस्या का फल देने आएं
शिव शंकर जब प्रसन्न हो
वर मांगो जो द्रौपदी चाहती, संकोच न मन में तिल भर हो।।
गागर में समाई हो कितनी
यह बात भी थोड़ी ध्यान में हो
सागर न मांगना अपने वर में, बस इतनी-सी सावधानी हो।।
मैं धन्य हो गई आपको देखकर
तपस्या जो मेरी पूरी हो
क्षमा करना प्रभु मुझको, कोई भूलचूक जो मेरी हो।।
पति का वर मैं पाना चाहती
जैसी हर कन्या की इच्छा हो
आपकी कृपा से वर मिले मुझको, सौभाग्य में मेरे वृद्धि हो।।
देना पति मुझे ऐसा प्रभू
पूर्णता धर्म, सत्य की...
तपस्या का फल देने आएं
शिव शंकर जब प्रसन्न हो
वर मांगो जो द्रौपदी चाहती, संकोच न मन में तिल भर हो।।
गागर में समाई हो कितनी
यह बात भी थोड़ी ध्यान में हो
सागर न मांगना अपने वर में, बस इतनी-सी सावधानी हो।।
मैं धन्य हो गई आपको देखकर
तपस्या जो मेरी पूरी हो
क्षमा करना प्रभु मुझको, कोई भूलचूक जो मेरी हो।।
पति का वर मैं पाना चाहती
जैसी हर कन्या की इच्छा हो
आपकी कृपा से वर मिले मुझको, सौभाग्य में मेरे वृद्धि हो।।
देना पति मुझे ऐसा प्रभू
पूर्णता धर्म, सत्य की...