38 views
बेटी
तू बोझ नहीं,
सरताज है मेरी,
अपमान नहीं,
अभिमान है मेरी।
कोई सामान नहीं,
तू जान है मेरी।
बेटी है तू,
कोई पाप नहीं,
घर की लक्ष्मी है तू,
कोई श्राप नहीं।
अब बंद मुठ्ठी को खोलदे,
जरा बेखौफ हो कर बोलदे।
सर झुका नेकी कोई,
जरूरत नहीं।
तू गुरूर है मेरी,
कोई खेरात का नाम नहीं।
तू मान है मेरी,
कोई अपमान नहीं।
सरताज है मेरी,
अपमान नहीं,
अभिमान है मेरी।
कोई सामान नहीं,
तू जान है मेरी।
बेटी है तू,
कोई पाप नहीं,
घर की लक्ष्मी है तू,
कोई श्राप नहीं।
अब बंद मुठ्ठी को खोलदे,
जरा बेखौफ हो कर बोलदे।
सर झुका नेकी कोई,
जरूरत नहीं।
तू गुरूर है मेरी,
कोई खेरात का नाम नहीं।
तू मान है मेरी,
कोई अपमान नहीं।
Related Stories
35 Likes
6
Comments
35 Likes
6
Comments